कैसे करें एलोवेरा की खेती

कैसे करें एलोवेरा की खेती

प्रकृति में उपलब्ध अनेकों वनस्पितियों में ऐलो वीरा अर्थात ग्वार पाठा का बहुत अधिक महत्व है। ग्वार पाठा ना केवल एक वनस्पति है बल्कि इसका प्रयोग अनेक प्रकार की औषधियों के रूप में किया जाता है। इस अद्भुत पौधे के अनेकों फायदे है जो इसकी विभिन्न प्रजातियों के अनेकों प्रकार की प्रयोग विधि से प्राप्त किये जा सकते है। आयुर्वेदिक औषधि के अतिरिक्त इसका प्रयोग शाक-सब्जी, ज्यूस तथा सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री के रूप में भी किया जाता है। गुणों से भरे ग्वार पाठा का आर्थिक महत्व भी बहुत आश्यर्चजनक है। हमारे देश में आज कई युवा अनेकों प्रकार की नौकरी एवं अन्य पेशों को छोड़कर, लोक हित को ध्यान में रखकर एलोवीरा की खेती के साथ पैसा कमाने की ओर अग्रसर हो रहे है। इसके अलावा अनेक प्रकार की छोटी एवं बड़ी कम्पनियां भी एलोवेरा के व्यावसाय में आगे आ रही है। आइये जानते है एलोवेरा की खेती से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण तथ्य जिनसे ऐलोवेरा की खेती, मंडी इसके भाव तथा अनेक प्रकार के अन्य संशयों का समाधान हो सकेगा।

कैसे करें ऐलोवेरा की खेतीः

ऐलोवेरा के खेती में ना तो पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है और ना ही अधिक उपजाउ मिट्टी की, अतः यह शुष्क स्थानों पर भी आसानी से उगाये जा सकते है। भारतवर्ष के लगभग सभी स्थानों पर ऐलोवेरा की खेती की जाती है।ऐलोवेरा की खेती में ध्यान में रखने की बात यह है कि जलभराव वाले स्थानों पर ऐलोवेरा की खेती नहीं की जानी चाहिए।
पहली कटाई करने के लिए उचित समय पौधरोपण के 8 माह बाद का होता है।

यदि हम एक एकड़ भूमि में ऐलोवेरा खेती की बात करें तो पौधारोपण से पहले खेत में अच्छी जुताई करके लगभग 15 टन गोबर की खाद तथा यूरिया, पोटाश एवं फाॅस्फोरस को खेत में अच्छी तरह और उचित मात्रा में बिखेर कर पुनः जुताई करें, विशेषज्ञों के अनुसार जैविक खाद का प्रयोग अधिक लाभदायक होता है परन्तु भूमि तथा मिट्टी की प्रकृति के हिसाब से रासायनिक खाद भी प्रयोग में ले सकते हैं। इसके बाद लगभग 50 सेमी. की दूरी पर ऐलोवेरा प्रकन्दों का रोपण करें। ऐलोवेरा को बार बार सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती परन्तु वर्ष में 5 या 6 बार इसकी सिंचाई करनी चाहिए।
ऐलोवेरा की फसल को एक बार उगाने पर लगभग 3 वर्षों तक इसकी फसल प्राप्त कर सकते है।

ऐलोवेरा खेती की लागत, बाजार भाव एवं मुनाफाः

ऐलोवेरा की खेती करने में पहले वर्ष की लागत लगभग 70000 से 80000 रूपये होती है। ऐलोवेरा खेती के लिए खरीदे गए एक पौध की कीमत लगभग 2 से 3 रूपये होती है।ऐलोवेरा की खेती के प्रारम्भिक वर्ष में प्रत्येक हैक्टेयर से लगभग 50 टन ऐलोवेरा की ताजी पत्तियां प्राप्त हो जाती है, मंडी में ऐलोवेरा की पत्तियों की कीमत लगभग 5 से 7 रूपये प्रतिकिलो होती है। प्रथम वर्ष की तुलना में आगामी वर्षों में फसल में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।

ऐलोवेरा के बीजः

यूंतो ऐलोवेरा की खेती हेतु इसके पौध का उपयोग किया जाता है, जो कि आसानी से उपलब्ध हो जाते है परन्तु कुछ लोग इसके बीज का भी प्रयोग करते है। बीज द्वारा ऐलोवेरा की खेती करना उतना आसान एवं फायदेमन्द नहीं रहता। ऐलोवेरा बीज बाजार में भी मिल जाते है अन्यथा पौधे की पूरी तरह व्यस्क होने पर ही बीज की प्राप्ति हो सकती है जिसमें पौधे की जाति के अनुरूप 5 से 8 साल तक लग सकते है।

बाजार में बहुत सी छोटी तथा बड़ी कम्पनियां ऐलोवेरा की पत्तियों को खरीदती है तथा उन्हें प्रोसेस करके विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट बनाती है। भारत में निम्न प्रकार के उद्योग ऐलोवेरा खरीदते हैः आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने वाले फर्म, ऐलोवेरा ज्युस मेनुफेक्चरर, हर्बल तथा काॅस्मेटिक कम्पनियां, नर्सरी प्लांट उद्योग आदि।

पतंजलि, हिमालया, आरोग्य हर्बल, लेक्मे, रेवलाॅन इंडिया जैसी प्रसिद्ध कम्पिनियों के अलावा अनेकों अन्य कम्पनियां नियमित रूप से अधिक मात्रा में ऐलोवेरा खरीदने के लिए तत्पर रहती है।

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