हल्दीराम की सफलता की कहानी : Entrepreneurial Journey of Haldiram’s Success In Hindi

haldiram success story in hindi

आप सभी को मेरा तहे दिल से नमस्कार, आज मैं आपसे बहुत ही अच्छे और लाभदायक विषय में बात करने जा रहा हूँ ।
आज मैं जो आप सभी को बताने जा रहा हूँ वह आप सबको जानना बहुत ही आवश्यक है अगर आप सोचते हैं कि ये काम तो छोटा है इसे मैं नही करूँगा, इससे मेरा कोई फायदा नही होगा ।तो आज मैं आप सभी से बात करने वाला हूँ और बताने वाला हूँ कि आखिर एक बीकानेर की एक दुकान ‘भुजियावाले’ के नाम से साल 1937 में शुरू करने वाला एक व्यक्ति ने विशाल पहाड़ जैसा अपना खुद का business empire खड़ा कर लिया है । जो आज की तारीख में करोड़ो ( लगभग 5000  करोड़ ) का business चला रहा है ।

आइए जानते हैं कि इस छोटे से दुकानदार ने ये चमत्कार कैसे किया ।

यह तो आप सभी जानते हैं कि पूरे साल में जितने भी त्योहार हमारे देश मे मनाये जाते हैं, हमारे घरों के त्योहार इस हल्दीराम के बिना अधूरे से लगते हैं । हल्दीराम के बिना मानो ऐसा लगता हो जैसे कि कुछ अधूरा सा पीछे छूट गया हो। आप सभी को यह जान कर हैरानी होगी कि
हल्दीराम आज दुनिया के ५० से भी ज्यादा देशों में अपने पैर जमाए हुए हैं ।

वो आज के समय में भारत के गली गली मोहल्ले मोहल्ले मे छाया हुआ है । ३५०० crore से भी अधिक के सालाना turnover के साथ यह Indian brand आज दुनिया के कई बड़े खाद्य-ब्रांड को अन्तर्रष्ट्रीय बाज़ार में टक्कर दे रही है । कंपनी के ३० तरह के नमकीन प्रोडक्ट्स मौजूदा समय में बाजार में उपलब्ध हैं । इनमें से सबसे मशहूर है आलू भुजिया जोकि छोटे बच्चो से लेकर बड़े और बुजुर्गो, सबकी मनपसंद नमकीन है ।

आप सभी को यह लगता होगा कि हल्दीराम का नाम पहले से ही यही है, लेकिन इतिहास मे जाकर देखे तो यह बात सच नही है दरअसल हल्दीराम की शुरुआत वास्तव में ‘हल्दीराम’ के रूप में नहीं बल्कि बीकानेर की एक दुकान ‘भुजियावाले’ के नाम से शुरू हुई थी। यह बात १९३७ की है जबकि आजादी को अभी पूरे १० साल बाकी थे । बीकानेर के रहने वाले गंगाविषण जी अग्रवाल ने एक छोटे से नाश्ते की दुकान खोली थी जिसमे वह भुजिया बेचने का काम किया करते थे ।

विषण जी अग्रवाल के पिता, इस दुकान के जरिए भुजिया के काम में हाथ आजमाना चाह रहे थे। उन्होंने जैसा सोचा था वास्तव मे बिल्कुल वैसा ही हो रहा था और देखते ही देखते विषण जी अग्रवाल के नाश्ते की दुकान ‘भुजियावाले’ के नाम से पूरे शहर मे मशहूर हो गई।

हल्दीराम वास्तव में विषणजी का ही दूसरा नाम था। इसके कई सालों बाद अपना बिजनेस आगे बढ़ाने के लिए हल्दीराम के बैनर तले दिल्ली में १९८२ में उन्होंने अपनी एक दुकान खोली । दिल्ली में एक के बाद दो दुकानें खोली गईं। अब क्या था जब उन्होंने देखा कि यहाँ भी बिजनेस जोरो से चल रहा है तो उन्होंने अपना कारोबार और आगे बढ़ाने के लिए हल्दीराम को विदेश मे भी लगाने का सोचा । धीरे-धीरे उन्होंने भारत के बाहर भी अपने प्रोडक्ट भेजने शुरू कर दिए। देखते ही देखते देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में हल्दीराम के products बिकने लगे। इसके पीछे की सबसे खास वजह थी उनके products की quality ।

सब कुछ अच्छे से ठीक-ठाक चल रहा था कि तभी2015  में America ने आरोप लगाया गया था कि इनके प्रोडक्ट में कीटनाशक की मात्रा है, इसी कारण America ने हल्दीराम के products के export पर रोक लगा दी । इससे लोगो को यह लगने लगा था कि अब हल्दीराम का business थोड़ा धीमा हो जाएगा पर इन सबके बावजूद हल्दीराम के बिजनेस पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा।

हल्दीराम का operation चार zone में काम करता है । अगर बात साल २०१३-१४ के business की करें तो north India में हल्दीराम manufacturing का revenue लगभग २१०० crore रुपए रहा। West और South India में हल्दीराम foods की सालाना सेल १२२५ crore के आसपास रही वहीं East India region में हल्दीराम भुजियावाला के नाम से २१० crore का व्यापार होता है।

आज की तारीख में हल्दीराम में yearly ३•७ अरब लीटर दूध, ८० करोड़ किलो मक्खन, ६२ लाख किलो आलू और तकरीबन ६० लाख किलो शुद्ध देशी घी की खपत है। भारतीय कंपनी हल्दीराम के फूड products दुनिया के ५० से अधिक देशों में सप्लाई होते हैं। कई विदेशी सुपर मार्केट में भी इसके प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं।भारत में हल्दीराम के कई restaurants भी खोले गए हैं जिनमें आपको हल्दीराम के कई products खाने को मिल जाएगा, हल्दीराम की मिठाइयाँ और कई प्रकार के पकवान जोकि अलग अलग प्रकार के मिठाईयों और नमकीनों के मिश्रण से बनाई जाती हैं ।

आज परिवार अलग हो गया है लेकिन बिजनेस अपनी जगह बना हुआ है क्योंकि इसने जीता है अपने ग्राहकों का भरोसा, विश्वास और दिखाई थी हिम्मत तिनके से पहाड़ जोड़ने की ।

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