देश में आर्थिक सुधारों को लागू करने वाले मनमोहन से जुड़े रोचक तथ्य

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उदारवादी अर्थव्यवस्था का जनक माना जाता है, आइये आज जानते है उनके जीवन से जुड़े कुछ अनकहे पहलू।

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 में पाकिस्तान में गाह नामक गांव में उनका जन्म हुआ था। वह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले पहले सिख हैं। यूपीए को 2004 के चुनाव के बाद बहुमत मिला तो मनमोहन सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की इच्छा से प्रधानमंत्री चुना गया था।

जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो उनका परिवार भारत आ गया, मनमोहन सिंह एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक विद्वान, अर्थशास्त्री और विचारक भी हैं। उनकी पत्नी का नाम गुरशरण कौर है और वह तीन बेटियों के पिता हैं। मनमोहन सिंह लोकसभा चुनाव 2009 में यूपीए को मिली जीत के बाद प्रधानमंत्री बने। वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के ऐसे प्रधानमंत्री बन जो सफलतापूर्वक पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक मनमोहन सिंह ने नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में भी कार्य किया। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, आपको बता दें, मनमोहन सिंह के बाद भारत का वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार दूसरी प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला है।

मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ से बीए ऑनर्स की डिग्री ली फिर इसी यूनिवर्सिटी से इकॉनॉमिक्स एमए की डिग्री ली इसके बाद वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गए यहां से उन्होंने पीएचडी की डिग्री ली, 1955 और 1957 में कैंब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था फिर मनमोहन सिंह ने नफील्ड कॉलेज से डी फिल पास किया।

बाद में मनमोहन सिंह पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे, उन्होंने दो साल तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाया वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में मानद प्राध्यापक भी बने। इस समय तक डॉक्टर मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री के रूप में काफ़ी प्रसिद्ध हो चुके थे। उनकी प्रतिभा को इंदिरा गांधी ने सम्मानित किया और इन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का गवर्नर बनाया गया ।

मनमोहन सिंह 72 साल के थे जब उन्हें प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष का विरोध देखते हुए स्वयं प्रधानमंत्री बनने से इनकार करके मनमोहन सिंह को भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में अनुमोदित किया था। डॉ. मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री का कार्यकाल 22  मई, 2004 से शुरू हुआ था, वह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे. साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बहुमत मिला जिसके बाद नरेद्र मोदी प्रधानमंत्री के पद के लिए चुने गए।

आपको बता दें, अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह वर्ष 1991 से भारत के संसद के ऊपरी सदन (राज्‍यसभा) के सदस्‍य रहे हैं, जहां वह वर्ष 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे, मनमोहन सिंह को 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्री काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय भी दिया जाता है।

1985 में राजीव गांधी के शासन काल में मनमोहन सिंह को भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया, इस पद पर उन्होंने निरन्तर 5 सालों तक कार्य किया, जबकि 1990 में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। इसी दशक में उदारवादी नीतियों को लागू करने की वजह से वह दौरान वह मध्यवर्ग के चहेते बन गए, इस सुधारों की वजह से भारतीय बाजार खुला और यहां का मध्यवर्ग समृद्ध हुआ।

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