जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 1984 के विरोधी दंगों में पूर्व कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार दोषी पाए गए है, जिसे हाई कोर्ट उम्र कैद की सजा सुना चुका है। हाई कोर्ट ने इन विरोधी दंगों को आजादी के बाद की सबसे बड़ी हिंसा का करार दिया है।इसके अलावा कोर्ट इन दंगों में पाए गए दोषी यशपाल को मौत की सजा और दूसरे दोषी नरेश को आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है।
चलिए जानते हैं कि आखिर कैसे हुई 1984 दंगों की शुरूआत
बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख दंगे भड़क गए थे। दरअसल इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके अंगरक्षक ही थे और दोनों ही अंगरक्षक सिख थे, जिसके बाद देश में लोग सिखों के खिलाफ भड़क गए थे। इस घटना के बाद देश में खून की होली खेली गई थी। माना जाता है कि इन दंगों में पांच हजार लोगों की मौत हो गई थी। अकेले दिल्ली में करीब दो हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे।
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर क्यों भड़के थे सरदार ?
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सिखों के गुस्से की वजह यह थी कि 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने भारतीय सेना को स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने का आदेश दिया था। इस दौरान मंदिर में घुसे सभी विद्रोहियों को मार दिया गया था। जो कि ज्यादातर सिख ही थे। इन सभी हथियारों से लैस विद्रोहियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा कर लिया था।
क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार ?
आपको बता दें कि स्वर्ण पर कब्जा किए हुए विद्रोहियों की मांग थी कि उन्हें खालिस्तान नाम का अगल देश चाहिए था, जहां केवल सिख और सरदार कौम ही रह सके। लेकिन सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया और इन अलगाववादियों पर कार्रवाई की। इस दौरान हुए ऑपरेशन को ऑपरेशन ब्लू स्टार कहा गया। इन सभी खालिस्तानियों के लीडर सिख धर्म गुरू सरदार जरनैल सिंह भिंडरवाले थे।
इंदिरा गांधी की मौत की वजह क्यों बने जरनैल सिंह भिंडरवाले?
दरअसल, जब इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में सैनिकों को घुसने का हुकम दिया था। इस दौरान पहले से मंदिर में मौजूद खालिस्तानियों के नेतृत्व कर रहें भिंडरावाले और उनके सहयोगियों ने सैनिकों पर हमला कर दिया था। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने तोपों को साथ आगे बढ़ने का आदेश दिया था।
आपको बता दें कि इस दौरान भिंडरवाला और उसके साथियों की मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद ही सिख भड़क गए। आपको बता दें कि इस घटना का बदला लेना के लिए इंदिरा के उनके बॉडीगार्ड ने ही मौत के घाट उतार दिया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उनका अंगरक्षक एक सिख था। इस घटना के बाद से ही पूरे देश में सिखों के खिलाफ दंगे होने लगे।इन दंगों में हजारों सिखों को अपनी जान गंवाने पड़ी। तो कई सिखों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा।
1992 में दंगों जैसी स्थिति से निपटने के लिए किस बल की स्थापना की गई?
रैपिड एक्शन फोर्स की स्थापना की गई थी। यह एक विशेष फोर्स है जिसे अक्टूबर 1992 में सीआरपीएफ के 10 स्वाधीन बटालियन को परिवर्तित करके बनाया गया था।