ईश्वर द्वारा रचित इस अद्भुत दुनिया में सुन्दरतम कृति है एक महिला; यदि दुनियाभर के सुखों एवं प्रसन्नताओं को तराजू के एक पलडे में रखें एवं एक महिला के मां बनने की खुशी को दुसरे पलडे में रखें तो अवश्य ही मां बनने का सुख अधिक भारी होगा। मां बनने का अहसास एक महिला तभी जान सकती है जब गर्भवती होकर एक नवजात को जन्म देती है एवं इसकी पुष्टि करती है संत तुलसीदास द्वारा रचित रामायण की चैपाई का यह अंशः
पर घर घालक लाज ना धीरा। बांझ की जान प्रसव के पीरा।।
गर्भधारण के बारे में आवश्यक जानकारी
वर्तमान समय में समाचार पत्रों एवं अन्य मीडिया के साधनों में प्रायः गर्भधारण करने में होने वाले विभिन्न प्रकार के उपचारों के विज्ञापन देखने को मिलते रहते हैं। हमारा यह लेख आपके मन में उठने वाले गर्भधारण सम्बन्धित विभिन्न सवालों के बारे में है जिनमें आपको जानकारी मिलेगी की अनेकों समस्याओं के रहते हुए गर्भधारण कैसे किया जा सकता है, गर्भधारण करने का सही समय एवं पोजिशन क्या होनी चाहिए, इसके अलावा आप जानेंगें की गर्भधारण का पता कैसे लगाया जाए।
गर्भधारण की प्रक्रिया एवं वैज्ञानिक तथ्यः
मित्रों जब एक महिला के अण्डाणु किसी पुरूष के शुक्राणुओं से मिलते है तब ही गर्भावस्था की स्थिति सम्भव होती है। पुरूषों के प्रत्येक स्त्राव से लाखों की संख्या में शुका्रणु निकलते है जबकि महिलाओं में प्रत्येक माह एक अण्डाणु निकलता है जो अनिषेचित होने पर कटकर योनिमार्ग से निकलता है जिसे माहवारी कहा जाता है, परन्तु यदि अण्डाणु और शुक्राणु का आपस में निषेचन हो जाता है तो गर्भधारण हो जाता है।
अण्डाणु के ओवेरी से निकलकर फेलोपियन ट्यूब में आने के समय को ओवुलेशन कहते है एवं यह समय गर्भधारण करने के लिए सर्वाेत्तम होता है, इस समय में शुका्रणु से मिल अण्डाणु गर्भाशय में चला जाता है। इस समयान्तराल को फर्टिलिटी विन्डो कहा जाता है जो कि सामान्यतयाः माहवारी के 12वें दिन से 16वें दिन तक होता है। इसी कारण गर्भधारण करने में समस्या होने पर लगभग 10वें दिन से 6 दिनों तक नियमित यौन सम्पर्क में रहने की सलाह दी जाती है।
गर्भधारण हेतु उपर्युक्त पोजिशनः
हालांकि मनुष्य ने सैक्स क्रिया का आनन्द उठाने के लिए विभिन्न पोजिशन बना रखी है परन्तु गर्भधारण करने के लिए मिशनरी पोजिशन को सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है जिसमें पुरूष उपर होता है तथा दोनों पार्टनर के मुंह एक दूसरे के समान होते है। इस उंद वद जवच चवेपजपवद में भी महिला के पेल्विस को तकिये की सहायता से थोड़ा उपर उठा के रखा जाए तो शीघ्र परिणाम आने की संभावनाऐं अधिक होती है, क्योंकि इस अवस्था में शुक्राणु गर्भाशय के एकदम समीप तक पहुंच सकते हैं। यौन क्रिया के बाद गर्भधारण करने हेतु महिला को कुछ समय तक सीधे लेटे रहना चाहिए एवं तुरन्त मुत्र त्याग के लिए नहीं जाना चाहिए जिससे पुरूष का वीर्य वांछित समय तक अन्दर रह सके।
गर्भधारण के लक्षणः
हालांकि गर्भधारण होने का अहसास बड़ा ही अद्भुत एवं सुहावना होता है और इसके लक्षणों से आपको और आपके आस पास रहने वालों को भी आपके गर्भवती होने का अहसास होने लगता है।
यदि गर्भधारण के लक्षणों की बात करें तो बार बार जी मिचलाना या मितली आना, उल्टी होना या कुछ खाते ही उल्टी होने जैसा आभास होना, मूत्रत्याग की बार बार इच्छा होना सबसे सामान्य लक्षण होते है। इसके अलावा महिलाओं में माहवारी का बन्द होना तथा स्तनों का भारी होना जैसे सामान्य लक्षण भी देखे जाते है। परन्तु इन लक्षणों के अलावा गर्भावस्था का पता लगाने हेतु मार्किट में उपलब्ध कई प्रकार के किट का प्रयोग किया जा सकता है जिनसे गर्भधारण के बारे में बेहद आसानी से एवं बिल्कुल सटीक पुष्टि की जा सकती है।