चैत्र नवरात्रि- इन 3 कामों से होगी हर मनोकामना पूर्ण, ये चार मंत्र करेंगे हर संकट दूर

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चैत्र नवरात्रि- इन 3 कामों से होगी हर मनोकामना पूर्ण, ये चार मंत्र करेंगे हर संकट दूर

जैसा कि आपको मालूम है कि इस बार चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू हो चुके हैं। आपको मालूम होगा कि चैत्र माह से ही भारतीय नववर्ष का प्रारंभ भी होता है। यानी कि कुलमिलाकर कहें तो यह भारतीय कैलेंडर के हिसाब से साल 2020 का पहला महीना है।

नवरात्रि के इस अवसर पर दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि आपको इस पर्व के दौरान कौन से वो तीन काम करने चाहिए साथ ही कौन से चार मंत्रों का जाप आपको करना चाहिए, जिससे आप हर प्रकार से संकट और दुविधाओं से बचे रहेंगे।

इन तीन कामों से होगी मनोकामनाएं पूरी

  1. नवरात्रियों में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। उपवास रखकर ही साधना की जा सकती है। यथासम्भव नमक और मीठा (चीनी मिष्ठानादि) छोड़ दें। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

2.नवदुर्गा में गृहस्थ मनुष्य को साधारण साधना ही करना चाहिए। इस दौरान उसे घट स्थापना करके, माता की ज्योत जलाकर चंडीपाठ, देवी महात्म्य परायण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। यदि यह नहीं कर सकते हैं तो इन नौ दिनों के दौरान प्रतिदिन एक माला माता के मंत्र का जाप करना चाहिए। साधना में किसी भी प्रकार की गलती माता को क्रोधित कर सकती है। यदि आप इस दौरान बीमार पड़ जाते हैं, आपको अचानक ही कहीं यात्रा में जाना है या घर पर किसी भी प्रकार का संकट आ जाता है, तो इस दौरान उपवास तोड़ना या साधना छोड़ना क्षम्य है।
सामान्यजन माता के बीज मंत्र या शाबर मंत्रों का जाप कर सकते हैं या अष्टमी की रात्रि में दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक मंत्र को विधिवत सिद्ध किया जाता है। सप्तश्लोकी दुर्गा के पाठ का 108 बार अष्टमी की रात्रि में पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

ये भी जरूर करें-

नवरात्रि में कम से कम दोनों काल (प्रातः एवं सायं) में तीन घंटा समय निकाल कर 26 माला प्रति दिन नियमित समय पर जपना चाहिए। शौच स्नान से निवृत्त होकर शुद्धतापूर्वक प्रातःकालीन उपासना पूर्व मुख और संध्याकाल की उपासना पश्चिम मुख होकर करनी चाहिए। जप के समय घी का दीपक जलाकर रखें और जल का एक पात्र निकट में रखें।

3. सप्तमी, अष्टमी और नौवमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें अच्‍छे से भोजन ग्रहण कराना चाहिए। यदि आप कन्या भोज नहीं कर रहे हैं तो आप गरीब कन्याओं को दान दक्षिणा भी दे सकते हैं। खासकर उन्हें हरे वस्त्र या चुनरी भेंट करें। आप यह कार्य किसी मंदिर में जाकर भी कर सकते हैं। वहां आप माता को खीर का भोग लगाकर कन्याओं को दान दें। आपको बता दें कि अंतिम दिन विधिवत रूप से साधना और पूजा का समापन करके हवन करना चाहिए। हवन करते वक्त हवन के नियमों का पालन करना चाहिए। उसके बाद में निर्माल्य का विसर्जन करना चाहिए।

अगर आप इन तीनों कार्यों को श्रद्धापूर्वक करते हैं, तो आपकी जो भी मनोकामना होगी वह पूर्ण होगी।

 

वो चार मंत्र जिनसे हर संकट होगा दूर

मंत्र 1- वशीकरणार्थ- ‘ॐ चि‍भि चिभि स्वाहा’

  • इस मंत्र की 11 माला नित्य कर नवमी को रात्रि में हवन करें।
  • प्रात:काल जलमंत्रित कर नाम लेकर पिएं।

 

मंत्र 2- प्रभाव बढ़ाने के लिए ‘ॐ हुं फट्’

  • इस मंत्र की 51 माला नित्य कर अंत में हवन करें।
  • मंत्र पढ़कर हाथ चेहरे पर फेरें, तब घर या ऑफिस से निकलें, कार्य होगा।

 

मंत्र 3- ‘ॐ नमो भास्कराय मम् सर्वग्रहाणां पीड़ा नाशनं कुरु कुरु स्वाहा।’

  • नवग्रह पीड़ा दूर करने के लिए इस मंत्र की नित्य 11 माला करें।
  • अंत में हवन करें।

 

मंत्र 4- ‘ॐ श्रीं श्रियै नम:’

  • इस मंत्र की 101 माला रोज कर लक्ष्मीजी का पूजन करें।
  • माला कमल गट्टे की लें। अंत में हवन करें। दारिद्रय दूर होगा।

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