विश्व बाघ दिवस: जानिए दुनिया के कितने देशों में पाए जाते है बाघ, बाघों के संरक्षण में भारत करेगा दूसरे देशों की मदद

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नई दिल्ली।पूरे विश्व में हर साल 29 जुलाई को World Tiger Day यानि की विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। बाघों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। इनके अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है और यह प्रजाति विलुप्त होने की स्थिति में है। हालांकि हाल के आंकड़े बताते है कि इनकी संख्या में बढ़ोतरी भी हुई है। जरुरत है इनके संरक्षण की ताकि बाघ की संख्या को बढ़ाया जा सकें।

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बाघों के संरक्षण को लेकर भारत अब दुनिया के दूसरे देशों की भी मदद करेगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने फिलहाल दुनिया भर में ऐसे 13 देशों की पहचान की है, जहां मौजूदा समय में बाघ पाए जाते हैं। लेकिन बेहतर संरक्षण के अभाव में इनकी संख्या काफी कम है। ऐसे में अब वह इन सभी देशों को बाघों के संरक्षण को लेकर बेहतर तकनीक और योजना दोनों ही मुहैया कराएगा। बांग्लादेश, भूटान औऱ नेपाल जैसे देशों के साथ इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विश्व बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर एक दिन पहले मंगलवार को देश में बाघों की गणना को 2018 की विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए यह जानकारी दी। बाघों की गणना की प्रारंभिक रिपोर्ट पिछले साल ही आ चुकी है। इसे विश्व बाघ दिवस पर पीएम ने एक ट्वीट कर साझा किया था। इसमें देश में बाघों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का खुलासा हुआ था। फिलहाल 2018 की इस रिपोर्ट के तहत देश में बाघों की संख्या बढ़कर 2967 हो गई है। इसके मुताबिक 2014 के मुकाबले 741 बाघों की बढ़ोतरी हुई है।

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जानिए कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
वर्ष 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए बाघ सम्मेलन में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस सम्मेलन में 13 देशों ने भाग लिया था और उन्होंने 2022 तक बाघों की संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी का लक्ष्य रखा था। बाघ जंगल के स्वास्थ्य एवं शाकाहारी वन्य प्राणियों की उपलब्धता दर्शाते हैं। जहां जंगल अच्छा होगा, वहां बाघ होगा। भोजन शृंखला के व्यवहार पर बाघ और जंगल की स्थिति का पता चलता है। इनके संरक्षण के लिए कई देश मुहिम चला रहे हैं।

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29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस
दुनिया भर में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। जावडेकर ने कहा कि दुनिया की वैसे तो सिर्फ ढाई फीसद ही भूमि हमारे पास है, लेकिन जैव विविधता में हमारी हिस्सेदारी आठ फीसद की है। यह दर्शाता है, कि हम प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कितने तत्पर है। यह हमारी साफ्ट पावर है जिसे बरकरार रखना है।
उन्होंने इस दौरान पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर देश में किए जा रहे कामों का भी जिक्र किया। खासकर असम में वन्यजीवों को बाढ़ से बचाने के लिए जिस तरीके के अपर लैंड (ऊंचे स्थान) तैयार किए गए, उसका परिणाम था कि इस बार बाढ़ आने पर वन्यजीवों को कोई नुकसान नहीं हुआ। बल्कि वह सभी ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित है।
बाघों को संरक्षण के लिए भारत ने जिन 13 देशों में मुहिम चलाने का फैसला लिया है, उनमें बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, रूस, म्यांमार, नार्थ कोरिया, अफगानिस्तान, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देश शामिल है।

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