भारत के राष्ट्रपति के बारे में ये बातें जानते हैं आप? 100 रोचक तथ्य

भारत के राष्ट्रपति के बारे में ये बातें जानते हैं आप? 100 रोचक तथ्य
भारत के राष्ट्रपति के बारे में ये बातें जानते हैं आप? 100 रोचक तथ्य

दोस्तों आज हम राष्ट्रपति पद की गरिमा और उसके महत्व पर चर्चा करेंगे. कौन होता है राष्ट्रपति और उसके चुने जाने की क्या प्रक्रिया होती है ? राष्ट्रपति के क्या अधिकार होते है और उसके पास कौन-कौन सी शक्तियां होती है तथा वो कौन सी योग्यता होती है जो कि किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लिए चुना जाता है इत्यादि.  राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है. जैसा कि आपको पता ही है कि भारत में संसदीय व्यवस्था कायम है और भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में ही होती है. राष्ट्रपति तो नाममात्र की कार्यपालिका होती है जबकि वास्तविक कार्यपालिका तो प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल होता है.

 

आइये जानते है राष्ट्रपति के गरिमामय पद की यात्रा के बारे में:-

  1. राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रधान तो होता ही है लेकिन उसे भारत का प्रथम नागरिक होने का गौरव भी हासिल होता है.

 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ५८ के अनुसार किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लिए तभी योग्य समझा जाता है जब उसे भारत की नागरिकता हासिल हो और उसकी आयु ३५ वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए. उसे लोकसभा का सदस्य होना अनिवार्य है और चुनाव के समय किसी भी प्रकार के लाभ के पद पर ना हो.

 

  1. राष्ट्रपति का निर्वाचन राज्यसभा, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओ के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा होता है जो कि निर्वाचक मंडल कहलाता है.

 

  1. निर्वाचक मंडल में ५० सदस्य प्रस्तावक और ५० सदस्य अनुमोदक के तौर पर होने चाहिए तभी किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद के योग्य समझा जाता है.

 

  1. राष्ट्रपति पद से सम्बंधित सबसे दिलचस्प बात ये है कि कोई भी व्यक्ति कितनी भी बार इस पद के लिए निर्वाचित हो सकता है. भारतीय इतिहास में अभी तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जो की दो भारत के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर बैठ चुके है.

 

  1. राष्ट्रपति के निर्वाचन के बाद उसके निर्वाचन से सम्बंधित यदि किसी भी प्रकार का कोई भी विवाद उत्पन्न होता है तो उसका निपटारा उच्च न्यायालय में होता है. इस अवधि के दौरान यदि ये साबित होता है कि निर्चाचन अवैध है तब भी उसके द्वारा किये गए कार्य अवैध नहीं होते है.

 

  1. राष्ट्रपति का कार्यकाल ५ वर्ष का होता है. कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी वह तब तक राष्ट्रपति पद पर कायम रह सकता है जब तक कि उसका कोई उत्तराधिकारी उस पद पर नहीं आ जाता है.

 

  1. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उसे पूर्व-निर्धारित एक प्रपत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश अथवा उसकी उपस्थिति में उच्च्तम न्यान्यालय (सुप्रीम कोर्ट) में वरिष्ठ न्यायाधीश के सम्मुख शपथ लेनी पड़ती है.

 

  1. राष्ट्रपति द्वारा संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन पर या संसद के किसी सदन द्वारा उस पर यदि महाभियोग लगाया गया है तो उसे राष्ट्रपति पद से हटाया भी जा सकता है. पद से त्याग के लिए राष्ट्रपति को लिखित सूचना दी जानी चाहिए और उस सूचना में सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए.

 

  1. संसद के जिस सदन में राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया गया है उस प्रस्ताव पर दो तिहाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए. इसके बाद यह प्रस्ताव दुसरे सदन में जाता है और ये सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों की जांच करता है. यदि लगाये गए आरोप सिद्ध होते है तो महाभियोग लगाने वाला ये प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित होता है.

 

  1. महाभियोग की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद उस तिथि से राष्ट्रपति को अपने पद का त्याग करना पड़ता है. और तो इस पद की रिक्ति को ६ माह के भीतर भरना भी पड़ता है.

 

  1. एक उपराष्ट्रपति तब तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकता है जब तक कि राष्ट्रपति के कार्यकाल समाप्ति के पूर्व या पश्चात् किसी अन्य उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित नहीं कर लिया जाता है.

 

  1. राष्ट्रपति का वेतन १.५० लाख रुपया मासिक तय किया जाता है और उसका वेतन आयकर मुक्त होता है. राष्ट्रपति को निशुल्क आवास एवं संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते भी प्राप्त होते है साथ ही साथ राष्ट्रपति को मुहैय्या करवाई गई किसी भी सुविधा या वेतन एवं अन्य भत्ते में किसी भी प्रकार की कोई भी कटौती नहीं की जाती है.

 

  1. राष्ट्रपति को ९ लाख रुपया वार्षिक पेंशन का हमारे भारतीय संविधान में प्रावधान किया गया है.

 

  1. राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री और उसकी सलाह पर मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति करता है.

 

  1. सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के अलावा भारत का राष्ट्रपति राज्यों के राज्यपाल की भी नियुक्ति करता है.

 

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त तथा भारत के महान्यायवादी एवं भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की भी नियुक्ति राष्ट्रपति ही करता है.

 

  1. संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों और अन्य सदस्यों के अलावा संघीय क्षेत्रों के मुख्य आयुक्त और वित्त आयोग, भाषा आयोग तथा पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करता है.

 

  1. भारत देश के राष्ट्रपति भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों के अलावा अनुसूचित क्षेत्रो के प्रशासन के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों की भी नियुक्ति करता है.

 

  1. राष्ट्रपति का निर्वाचन एलेक्टोरेल कॉलेज के माध्यम से किया जाता है लेकिन ना तो विधान परिषद् के सदस्य और न ही लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य इसके सदस्य होते है.

 

  1. लेकिन उपरोक्त सभी सदस्यों का मत अलग-अलग होता है. जैसे कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का मत और विधानसभा के सदस्यों का मत अलग- अलग होता है.

 

  1. राष्ट्रपति के चुनाव में किसी भी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

 

  1. भारतीय संविधान में स्पष्ट उल्लेख है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद भी वो चुनाव लड़ सकता है और अपने राजनीतिक सफ़र को जारी भी रख सकता है. लेकिन भूतपूर्व राष्ट्रपति कभी भी सांसद, विधायक या राज्यपाल का चुनाव लड़ना नहीं चाहेगा क्योंकि ये पद राष्ट्रपति पद से बहुत ही नीचे के पद होते है.

 

  1. राष्ट्रपति के पास पूरी कार्यपालिका की शक्तियां होती है और वो इन शक्तियों का स्वयं या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकता है.

 

  1. राष्ट्रपति का सबसे प्रमुख कार्य प्रधानमंत्री की नियुक्ति और संविधान का पालन और संरक्षण करना है. ये काम राष्ट्रपति अपने स्वविवेक से करता है और कोई भी अधिनियम उनकी मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता है.

 

  1. वैसे देखा जाए तो राष्ट्रपति का प्रमुख कर्त्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है. और तो फौज के बड़े अधिकारियों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करता है.
  1. क्या आप जानते है राष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए दो या दो से अधिक लोग भी खड़े हो सकते है बशर्ते कि कम से कम 5० प्रस्तावक और 5० समर्थन करने वाले होने चाहिए.

 

  1. क्षमादान का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास होता है लेकिन अपने इस अधिकार का उपयोग वह मंत्रिपरिषद से सलाह-मशविरा करके करता है. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति को जो भी सलाह दी है ये तो अदालत में भी नहीं पूछा जा सकता है.

 

  1. नीलम संजीव रेड्डी इकलौते ऐसे राष्ट्रपति है जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद अकेले ऐसे राष्ट्रपति थे जिनको दो बार राष्ट्रपति पद पर बैठने का गौरव हासिल प्राप्त हुआ है.

 

  1. किसी भी विधेयक को कानून में बदलने के लिए आखिरी मुहर राष्ट्रपति की ही लगती है. जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो उसे अपनी अनुमति देने के पूर्व वो उस विधेयक को पुनः विचार के लिए संसद में वापस भेज देता है. यदि संसद उसे फिर से पारित करती है तब राष्ट्रपति को उसे मंजूर करना ही पड़ता है.

 

  1. धन विधेयक, राज्य का निर्माण, नाम या सीमा बदलने सम्बन्धी विधेयक एवं भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित ये कुछ ऐसे विधेयक है जो कि राष्ट्रपति की मंजूरी या अनुमोदन के बिना संसद में पेश ही नहीं किया जा सकता है.

 

  1. क्या आप जानते है कि राष्ट्रपति के पास वीटो का भी अधिकार होता है.

 

  1. राष्ट्रपति के पास ये अधिकार भी होता है कि वो संसद में पारित किसी भी विधेयक को अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रख सकता है. इसे पॉकेट वीटो भी कहते है.

 

  1. सन १९८६ में भूतपूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने डाक अधिनियम में संशोधन से सम्बंधित विधेयक को पारित करने के लिए अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया था.

 

  1. राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण कार्यक्रम बेहद रस्मी होता है जिसमे राष्ट्रपति को उसकी समस्त शक्तियों और कर्तव्यों सहित शपथ ग्रहण करवाई जाती है.

 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ५२ में उल्लेख किया गया है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा और उसके पास कुछ शक्तियां होंगी जिनका उपयोग वो संविधान के अनुरूप करेगा.

 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७७ में ये स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि भारत सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राष्ट्रपति के ही नाम से करने का प्रावधान है.

 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद ८० में उल्लेख मिलता है कि राष्ट्रपति को ये अधिकार भी है कि वह साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा में विशेष ज्ञान और व्यवहारिक अनुभव रखने वाले कम से कम १२ सदस्यों को राज्यसभा के लिए नामांकित कर सकता है.

 

  1. संविधान के अनुच्छेद ८५ के अनुसार राष्ट्रपति को ये अधिकार भी है कि वो समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर जो वो ठीक समझे अधिवेशन के लिए बुला सकता है और उसे ये अधिकार भी होगा कि वो किसी भी सदन का सत्रावसान और लोकसभा का विघटन भी कर सकता है.

 

  1. संविधान के अनुच्छेद ८६ के अनुसार एक राष्ट्रपति को ये अधिकार भी है कि वह संसद के किसी भी एक सदन में या फिर चाहे तो दोनों सदनों में एक साथ भाषण दे सकता है.

 

  1. संविधान के अनुच्छेद ८७ के अनुसार उसे विशेष भाषण का भी अधिकार है. अर्थात वह प्रत्येक लोकसभा चुनाव के बाद प्रथम सत्र और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में संसद के दोनों सदनों में भाषण दे सकता है.

 

  1. अनुच्छेद ३५२ के अनुसार राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करने का भी अधिकार होता है अर्थात युद्ध की स्थिति या फिर संकटकाल के दौरान, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह में वह आपातकाल की घोषणा कर सकता है.

 

  1. अनुच्छेद ३५६ के अनुसार किसी राज्य के संवैधानिक तंत्र के विफल होने की दशा में राज्यपाल के रिपोर्ट के आधार पर उस राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू किया जा सकता है.

 

  1. अनुच्छेद ३६० के अनुसार एक राष्ट्रपति को ये अधिकार भी है कि यदि भारत या उसके राज्य क्षेत्र के किसी भी भाग में यदि वित्तीय संकट आता है तो उस दशा में राष्ट्रपति उस राज्य में वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है.

 

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद १४३ के अनुसार राष्ट्रपति यदि चाहे तो सार्वजनिक महत्व के प्रश्न पर उच्च्तम न्यायालय से परामर्श ले सकता है लेकिन वह इस परामर्श को मानने के लिए बाध्य नहीं होता है.

 

  1. राष्ट्रपति हमारे देश के थल सेना, जल सेना और वायु सेना तीनो सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक होता है. वह तीनो सेनाओं की सेना अध्यक्षों की नियुक्ति भी करता है. उसे युद्ध या शांति की घोषणा करने तथा रक्षा बलों की नियुक्ति करने का भी अधिकार होता है.

 

  1. संवैधानिक तौर पर देखा जाये तो राष्ट्रपति को सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और मंत्रिपरिषद के कार्यों के बारे में सूचना प्राप्त करने का पूरा अधिकार होता है.

 

  1. राष्ट्रपति का विशेषाधिकार राजनितिक परिस्थितियों पर आधारित होता है. जब सरकार स्थाई न हो और गठबंधन सरकार सत्ता में हो तब राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की संभावनाए बढ़ जाती है.

 

  1. यदि किसी भी कारण से राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है तो उसके स्थान पर उपराष्ट्रपति उस पद पर कार्य करना प्रारंभ कर देता है और तब तक कार्य करता है जब तक कि नए राष्ट्रपति की नियुक्ति नहीं हो जाती है.भारत के दो राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु अपने कार्यकाल के दौरान ही हुई थी.

 

  1. संविधान के अनुच्छेद ३१० के अनुसार उसमे यह प्रावधान किया गया है कि संघ के लोक सेवक राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने-अपने पद पर बने रह सकते है. हालंकि हमारे भारतीय संविधान द्वारा अभी इसे पूर्ण रूप से नहीं अपनाया गया है.

भारत के प्रारम्भ से लेकर आजतक के सारे राष्ट्रपति  के काल क्रमानुसार नाम है

 

  1. डा. राजेन्द्र प्रसाद (1884-1963)कार्यकाल: 26 जन्वरी 1950 से 13 मई 1962
  2. डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)कार्यकाल: 13 मई 1962 से 13 मई 1967
  3. डा. ज़ाकिर हुसैन (1897-1969)कार्यकाल: 13 मई 1967 से 3 मई 1969
  4. डा. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (1905-1977)कार्यकाल: 24 अगस्त 1974 से 11 फ़रवरी 1977
  5. श्री नीलम संजीव रेड्डी (1913-1996)कार्यकाल: 25 जुलाइ 1977 से 25 जुलाइ 1982
  6. गेया ज़ेल सिंह (1916-1994)कार्यकाल: 25 जुलाइ 1982 से 25 जुलाइ 1987
  7. श्री आर वेंकटरामन (1910-2009)कार्यकाल: 25 जुलाइ 1987 से 25 जुलाइ 1992
  8. ड्र शंकर दयाल शर्मा (1918-1999)कार्यकाल: 25 जुलाइ 1992 से 25 जुलाइ 1997
  9. श्री के. आर. नारायणन (1920 – 2005) कार्यकाल: 25 जुलाइ 1997 से 25 जुलाइ 2002
  10. डा. .ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (जन्मदिन – 1931)कार्यकाल: 25 जुलाइ 2002 से 25 जुलाइ 2007
  11.  प्रतिभा डेवीसिंघ पाटिल (जन्मदिन – 1934)कार्यकाल: 25 जुलाइ 2007 से 25 जुलाइ 2012
  12. श्री प्रणब मुखेर्जीवकार्यकाल: 25 जुलाइ 2012 से शुरू हुआ

 

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