सत्संग संस्कृत के सत् अर्थात सत्य और संग का अर्थ संगति का अर्थ भारतीय दर्शन में है जिसको तीन तरह से समझा जा सकता है
1) “परम सत्य” की संगति,
(2) गुरु की संगति, या
(3) व्यक्तियों की ऐसी सभा की संगति जो सत्य सुनती है, सत्य की बात करती है और सत्य को आत्मसात् करती है।
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