औघड़ (नीलोत्पल मृणाल): book pdf free download

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औघड़ (2019) pdf book download in Hindi
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लेखक का परिचय

नीलोत्पल मृणाल का जन्म 25 दिसंबर 1984, दुमका, झारखंड में हुआ था। उत्कृष्ट लेखन शैली की वजह से 2016 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गये।

नीलोत्पल मृणाल की हाईस्कूल की शिक्षा नोनिहाट में, सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से 2005 में स्नातक की शिक्षा पूरी की। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2008 में सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए दिल्ली चले गये। नीलोत्पल मृणाल का पहला उपन्यास डार्क हॉर्स 2015 में प्रकाशित हुआ था। जो हिंदी साहित्य जगत का बहुचर्चित उपन्यास है। इस उपन्यास में शहरी जीवन के लिए गांव के जीवन का त्याग करने की जटिलता को दिखाया है, डार्क हॉर्स में, सिविल सेवा की तैयारी करने वालों के जीवन को बड़ी सरलता से अपने लेखन कौशल मके माध्यम से पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया है। इसी डार्क हॉर्स के लिए नीलोत्पल मृणाल को 2016 में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार मिला था। चार वर्षों के अंतराल के बाद उनका दूसरा उपन्यास औघड़ आया है। मृणाल कहानी लिखने के साथ- साथ कविता और लोकगीत भी लिखते हैं।

उपन्यास

डार्क हॉर्स (2015) pdf book download in Hindi

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अपने पहले करिश्माई लेखन से युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार पा चुके डार्क हॉर्स उपन्यास के लेखक नीलोत्पल मृणाल का नया उपन्यास औघड़ ग्रामीण समाज से आपको जोड़ने का एक अच्छा माध्यम है। अगर आप कभी गांव में रहें होंगे तो आपको इस उपन्यास को पढ़कर अपने पुराने दिनों की याद ताजा हो जायेगी। नई पीढ़ी के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से अद्वितीय लेखक नीलोत्पल मृणाल जी है जिनके लेखन के जादू से प्रत्येक पाठक खींचा आता है। इनकी लेखनी में न जाने कैसा सम्मोहन है जो पाठक को अपनी तरफ आकर्षित कर ही लेता है। जो भी पाठक इनकी एकाध पुस्तक पढ़ लेता है फिर वो इनके लेखन शैली का मुरीद हो जाता है।

इनकी रचनाओं में यथार्थ का चित्रण रहता है। यथार्थ चित्रण के साथ ही साथ आम आदमी के जीवन से जुड़ी रचना होती है। नीलोत्पल मृणाल में लेखन के साथ-साथ सामाजिक राजनीतिक ढांचे की विसंगतियों को बेहद ही सरल तरीके से अपने उपन्यास में उजागर किया है। औघड़ उपन्यास जात-पात, महिला की दशा, राजनीति, अपराध, धार्मिक पाखंड, सामाजिक व्यवस्था की दुर्दशा, गांव के मध्यम वर्ग की चेतना आदि पर कटाक्ष एवं गंभीर वेदना के संतुलन को साधने की अपनी जानी पहचानी शैली में लेखक नीलोत्पल मृणाल ने लिखते समय हिंदी साहित्य जगत की वर्षों से चली आ रही है सामाजिक सरोकार लेखन की परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। नीdलोत्पल मृणाल में लेखन के साथ- साथ राजनैतिक और सामाजिक मसलों पर हकीकत के धरातल पर लड़ने का तेवर भी है। यही वजह है इनके लेखन में सामाजिक विषमताएँ और संघर्ष स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। नीलोत्पल मृणाल लेखन के अलावा लोकगायन में भी आगे है।

औघड़ उपन्यास को आप फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं .नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Aughad book pdf free download

औघड़ उपन्यास में लेखक ने देश के राजनैतिक- सामाजिक कठिनाई पर अपनी लेखनी चलाई है। इस उपन्यास में दो गांवों की कहानी का उल्लेख किया गया है। जिसमें भांति-भांति के जातीय भेदभाव देखने को मिलता है। गांव में होने वाले जातीय भेदभाव को लेखक ने बहुत ही उम्दा तरीक़े से अंजाम दिया है, जिसमे लेखक जातियता की जड़ो को खोजते हुए, लेखक कहते है कि अपने देश में ऊंची जाति के बारे में मालूम करना हो तो आसान है परंतु निम्न जाति की तलाश आज भी चल रही है। इन सबके साथ ही साथ लेखक ने शासन प्रशासन के कार्य कलापों को भली प्रकार उजागर किया है। दारोगा के किरदार को समझाने का अच्छा प्रयास किया है।

लेखक ने लोकतंत्र के चतुर्थ खंभे पर ही जमकर प्रहार किया है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को लोकतंत्र का चतुर्थ स्तम्भ कहा जाता है। लेकिन वर्तमान समय में वह भी पूंजीपतियों और राजनेताओं के हाथ की कठपुतली बनकर रह गयी है। इन सबके साथ ही लेखक ने सामंतवादी विचारधारा को भी चुनौती देने की कोशिश किया है। औघड़ कहानी मात्र मलखानपुर गांव की कहानी नहीं है बल्कि ये दशा पूरे देश के प्रत्येक गांव की है।….

इस उपन्यास को पढ़कर ऐसा आभास होता है जैसे उपन्यास का कथानक खुद पाठक को अपने साथ गांव में जीवंत रूप से जोड़ता है। जो गांव की जाति धर्म की समरसता का बेजोड़ उदाहरण पेश करता है।

दशकों बाद ऐसे लेखक का हिंदी साहित्य संसार में आगमन हुआ है। जो बेहिचक बेबाकी और दृढ़ता के साथ अपनी बात को, समाज के दकियानूसी परम्परा, ऊंच- नीच, पर मुखरता से प्रहार किया है। या ऐसा कह सकते है कि सामाजिक कुरीतियो के प्रत्येक पक्ष को पाठको के सम्मुख बड़ी सरलता और सहजता से लाने में सफलता पायी है।

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