राहुल बजाज आज यह नाम पूरी दुनिया में छाया हुआ है। देश के जाने-माने बिजनेसमैन और बजाज समूह के चेयरमैन है राहुल बजाज। वह कौन है और उन्होंने कौन-कौन से पड़ाव उनके जीवन में आए। उनका पूरा ब्यौरा आपको उनके इस जीवन परिचय में पढ़ने को मिलेगा।
पूरा नाम (Full Name)
जन्म दिन (Birth Date)
रहने का स्थान (Residence)
जन्मस्थान (Birth Place)
रिश्तेदार (Relative)
पेशा (Profession)
राष्ट्रीयता (Nationality)
उम्र (Age)
धर्म (Religion)
बच्चे (Children)
पुरस्कार |
राहुल बजाज
10 जून 1938
अकुर्दी (पुणे)
बंगाल प्रेसीडेंसी (British India)
जमनालाल बजाज (दादा जी)
तरंग जैन (भतीजा)
भारतीय
81 साल
हिन्दू
राजीव बजाज (बेटा) संजीव बजाज (बेटा) सुनैना केजरीवाल (बेटी)
पदम भूषण (2001) |
राहुल का जन्मस्थान और परिवार
रंजन गोगोई का जन्म 10 जून 1938 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी में हुआ था। आपको बता दें कि बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज के दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका नाम जमनालाल बजाज था। उनका अकुर्दी पुणें में उनका निवास स्थान है। उनके दो लड़के (राजीव और संजीव) और एक (लड़की सुनैना केजरीवाल) है।
राहुल बजाज की प्रारंभिक शिक्षा
राहुल बजाज का जन्म एक राजस्थानी मारवाड़ी परिवार में बिजनेसमैन जमनालाल बजाज के घर हुआ, जो बजाज ऑटो साल 1945 के संस्थापक थे। उन्होंने महाराष्ट्र के ‘द कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल’ में पढ़ाई की। साल 1958 में उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। अपने प्रशिक्षण काल के दौरान, उन्होंने बॉम्बे में कानून की डिग्री भी हासिल की। उन्होंने यूएसए के प्रतिष्ठित हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री भी हासिल की।
“बजाज ग्रुप” है टॉप 10 व्यापारिक घरानों में से एक
प्रसिद्ध बजाज समूह की सफलता और विस्तार के पीछे राहुल बजाज का हाथ है। उनके ईमानदार प्रयासों, कड़ी मेहनत और सोच के अपरंपरागत तरीकों का ही नतीजा है, जो “बजाज ग्रुप” भारत के टॉप 10 व्यापारिक घरानों में से एक है। वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस लीडर्स में से एक हैं और दुनिया भर में अपने शानदार बिजनेस कौशल और उद्यमिता कौशल के लिए जाने जाते हैं।
राहुल बजाज की सफलता की कहानी
राहुल बजाज ने महज 12 साल की उम्र से ही बिजनेस टाइकून बनने का सपना देखा था। यह विशेष रूप से वह समय था जब उनके दादा ने एक स्टील मिल और चीनी मिल खरीदी थी। जल्द ही 1945 में, राहुल बजाज के पिता ने खुद बजाज ऑटो की स्थापना की, जो अब बजाज समूह का एक प्रतिष्ठित आभूषण है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्हें अपने पिता से ही उद्यमशीलता का कौशल विरासत में मिला था, जिसे उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से और ज्यादा तराशा है।
साल 1968 में राहुल बजाज ने बजाज ऑटो लिमिटेड (BAL) के सीईओ के रूप में शपथ ली। उस दौरान भारत का समाजवादी राज्य सख्त कानूनों और नियमों से बंधा हुआ था, जिसने उद्यमियों को बिना किसी सरकार की मंजूरी के कोई भी कदम आगे बढ़ाने से रोक दिया था। इस प्रकार BAL ने प्रति वर्ष लगभग 20,000 इकाइयों का उत्पादन किया। जो मांग और आपूर्ति प्रणाली के बीच एक बेमेल संबंध था। आपको बता दें कि उस दौरान पहला ऑर्डर देने के बाद भी ग्राहकों को डिलीवरी के लिए लगभग 10 साल तक इंतजार करना पड़ता था।
इस प्रकार “इकोनॉमीज़ ऑफ़ स्केल” का लाभ उठाने के लिए बजाज ने सरकार द्वारा अनुमोदित लाइसेंस क्षमता का लगभग 25% उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया। इससे न केवल ग्राहकों के लिए प्रतीक्षा अवधि में कटौती हुई, बल्कि कंपनी को बेहतर मुनाफा कमाने में भी मदद मिली। उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 72 मिलियन रूपए से 46.11 बिलियन रूपए तक बढ़ गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि यह दुनिया में चौथा सबसे बड़ा मोटर चालित वाहन निर्माता बन गया।
राहुल बजाज की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
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राहुल बजाज ने दो बार सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।
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वह अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सक्रिय सदस्य भी रह चुके हैं।
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उनके कौशल को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
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जून साल 2006 में उन्हें एनसीपी, भाजपा और शिवसेना के सदस्यों के समर्थन से राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया था।
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उन्हें 1975-77 में भारत सरकार द्वारा ऑटोमोबाइल्स एंड एलाइड इंडस्ट्रीज के लिए विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किया जा चुका है।
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उन्हें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल द्वारा पूर्व छात्र पुरस्कार के लिए भी सम्मानित किया जा चुका है।
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