How to file GST returns – जीएसटी रिटर्न कैसे भरें

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How to file GST returns

जीएसटीः यह एक प्रकार का वैल्यू एडेड टैक्स है जो वस्तु एवं सेवा में जब भी वैल्यू जुड़ती है उस प्रत्येक स्तर पर लगता है।

कौन भरेगा जीएसटी: GST किसके लिए

प्रत्येक व्यापारी, चाहे वो निर्माता हो या ट्रेडर, जिसका सालाना टर्नओवर यदि 20 लाख आसाम/उत्तरी पूर्वी राज्यों में 10 लाख से अधिक है तो वो जीएसटी के दायरे में आता है।

क्या है GSTR 3B

एकदम से नई व्यवस्था लागू होने और कई अन्य तकनीकी दिक्कतों के कारण जीएसटी का रिटर्न कारोबारियों के लिए अच्छी खासी मुश्किल बनकर आया है। लोगों की इस दिक्कत को देखते हुए सरकार ने दिसंबर 2017 तक पहले से तय फॉर्मेट में GST Return भरने से छूट दे दी है। विकल्प के रूप में सिर्फ एक सिंपल Form GSTR 3B जारी किया है। फॉर्म GSTR 3B को भरकर आप रिटर्न की औपचारिकता पूरी कर सकते हैं। GSTR 3B form क्या है, यह जानने से पहले हम की सामान्य प्रक्रिया को समझ लेते है

जीएसटी रिटर्न सामान्य प्रोसेस

10 नवम्बर 2017 को हुई जीएसटी काउंसिल की 23वीं मीटिंग से पहले जीएसटी और रिटर्न फाइलिंग की सामान्य प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक माह की 10 तारीख तक गत GSTR 1 फार्म में माह की ब्रिकी का स्टेटमेंट आॅनलाइन दाखिल करना होता है। इसी तरह 15 तारीख तक GSTR 2 में गत माह की खरीद का पूरा ब्यौरा देना होगा। टैक्स रिफंड के लिए प्रत्येक 20 तारीख तक GSTR 3 खरीद-बिक्री का पूरा ब्यौरा अर्थात रिटर्न दायर करना होगा। इस हिसाब से प्रत्येक माह 3 रिटर्न भरने होंगे तथा एक वित्तीय वर्ष में कुल 37 रिटर्न भरे जाऐंगे।
इस जीएसटी प्रणाली की खास बात यह है कि आपको सिर्फ GSTR 1 में मैन्युअल रूप से डाटा एन्टर करना होगा तथा GSTR 2 एवं 3 में आपके विक्रेताओं द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अपने आप आपका फाॅर्म भरा हुआ मिलेगा जिसे आपको मात्र वेरिफाई करना रहेगा।

परन्तु कम्पोजिशन स्कीम डीलर की श्रेणी में आने वाले व्यापारियों को अलग से जीएसटी रिटर्न भरना होगा।

GSTR 3B का प्रयोग कैसेः

इसमें आपको अपने अनुमान से कुल लेन-देन अर्थात Inward Supply and Outward Supply का ब्यौरा देना होगा। जिसके लिए आपको कोई रसीद दिखाने अथवा पूरी डिटेल देने की जरूरत नहीं होगी। दिसम्बर 2017 तक के व्यापार के सम्बन्ध में हम GSTR 3B का प्रयोग कर सकते है। परन्तु जनवरी 2018 से आपको GSTR 1, 2, एवं 3 ही भरना होगा।

इसके अलावा जीएसटी काउंसिल ने यह भी निर्णय लिया है कि 1.5 करोड़ सालाना टर्नओवर से कम सामान्य जीएसटी स्कीम के कारोबारियों को GSTR 1 त्रैमासिक भरना होगा। परन्तु जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ से अधिक है उन्हें मासिक GSTR 1 फाइल करना होगा।

जीएसटी कम्पोजिशन स्कीम

कम्पोजिशन स्कीम के तहत व्यापारियों को सिर्फ GSTR 4 एवं GSTR 9ए फाइल करना होगा।

ऐसे छोटे और माध्यम आकर के व्यवसाय जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ से कम है उनके लिए ळैज् को सरल करने के लिए कम्पोजीशन स्कीम हैं जिसके तहत व्यवसायी एक निश्चित अवधि की कुल सेल पर सीधा फिक्स रेट से टैक्स दे सकेंगे और उन्हें वर्ष में केवल 5 रिटर्न भरने की आवश्यकता होगी

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अधोलिखित करदाता 1.5 करोड़ से कम टर्नओवर होने के बाद भी कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्ट्रेशन नहीं करवा सकते

1 जो करमुक्त सप्लाई करते है।
2 सर्विसेज की सप्लाई करने वाले करदाता; रेस्टोरेंट सर्विसेज को छोड़कर द्ध
3 इंटर स्टेट सप्लाई करने वाले करदाता।
4 E-Commerce ऑपरेटर के माध्यम से सप्लाई करने वाले करदाता।
5 पबम बतमंउए पान मसाला या तंबाकू के निर्माता।
6 नॉन रेजिडेंट।

कम्पोजिशन स्कीम में रजिस्र्टड मैनुफेक्चर और ट्रेडर को कुल टर्नओवर का 1 प्रतिशत जीएसटी देना होता है जिसमें सीजीएसटी और एसजीएसटी का बराबर भाग होता है।

इसके अलावा रेस्टोरेंट के लिए कुल जीएसटी 5 प्रतिशत निर्धारित की गयी है।कम्पोजीशन स्कीम का एक फायदा यह है कि इसमें करदाता को रिटर्न हर महीने फाइल करने की बजाय Quarterly फाइल करनी होती है। कम्पोजीशन स्कीम में रजिस्टर्ड प्रत्येक व्यापारी को quarter के समाप्त होने के 18 दिनों के भीतर फॉर्म GSTR 4 में रिटर्न फाइल करनी होगीऔर वर्ष के समाप्त होने के बाद 31 दिसंबर तक फॉर्म 9 A में एनुअल रिटर्न फाइल करनी होगी । Quarterly और Annual रिटर्न तब भी फाइल करनी पड़ेगी जब कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं किया गया हो। यानि कि करदाता द्वारा कोई ट्रांजेक्शन नहीं किये पर nil की रिटर्न फाइल करनी पड़ेगी।

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