चंद्र यान-2 ने सफलता के एक और कड़ी को पूरा कर लिया है, सोमवार को 1 बजकर 35 मिनट पर सफलतापूर्वक चंद्र यान-2 के मॉड्यूल से लैंडर विक्रम अलग हो गया।
भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। चंद्रयान-2 के मॉड्यूल से लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक अलग हो गया, इसरो ने ट्वीट कर इसकी पुष्टि की है। इसरो के अनुसार, भारतीय समयानुसार आज लैंडर विक्रम दिन में करीब 1 बजकर 35 मिनट पर सफलतापूर्वक अलग हो गया। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इस अलगाव को मायके से ससुराल के लिए रवाना होने जैसे बताया है।
वैज्ञानिकों ने उच्च स्तरीय बैठक के बाद लैंडर विक्रम के अलग होने के लिए जो समय निर्धारित किया था, उसी वक्त पर अलगाव सफलतापूर्वक अलग हुआ। शनिवार को इसरो वैज्ञानिकों की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। समीक्षा बैठक में शामिल एक अधिकारी ने कहा, ‘लैंडर और रोवर के अलग होने का समय सोमवार को दोपहर 1.30 बजे रखा गया है। आज निर्धारित समय के करीब ही दोपहर 1 बजकर 35 मिनट पर यह लैंडर विक्रम अलग हुआ।
चंद्रयान-2 चंद्रमा की पांचवी कक्षा में प्रवेश कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबित, आज दोपहर में लैंडर विक्रम अलग हो गया। जिसके बाद भारत के मिशन चंद्रयान की तारीफ देश-विदेश में हो चुकी है।
इसरो के चेयरमैन के.सिवन ने पूर्व में बताया था कि 2 सितंबर को होने वाला लैंडर सेपरेशन काफी तेज होगा। यह उतनी ही गति से होगा, जितनी गति से कोई सैटलाइट लॉन्च वीइकल से अलग होता है। इसमें करीब एक सेकंड लगेगा। इस अलगाव की प्रक्रिया में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसका पायलट लड़ाकू विमान में खराबी आने के बाद अपनी जान बचाने के इजेक्ट होने के लिए करते हैं।
ISRO के एक वैज्ञानिक ने बताया कि ऑर्बिटर के ऊपर लगे फ्यूल के एक्सटेंशन में लैंडर और रोवर रखे गए हैं जो कि क्लैंप और बोल्ट से अटैच हैं। उन्होंने बताया कि एक स्प्रिंग के दो तरफ लैंडर और रोवर जुड़े हुए हैं। जिस बोल्ट से स्प्रिंग लगा हुआ है उसे कमांड के जरिए काट दिया जाएगा और लैंडर सफलतापूर्वक अलग होगा। इसके बाद विक्रम लैंडर लगातार नीचे चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ता जाएगा।