एयर इंडिया ने उत्तरी ध्रुव में उड़ान भर रचा इतिहास

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72वां स्वतंत्रता दिवस पर एयर इंडिया ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। एयर इंडिया का बोईंग 777 एयरक्राफ्ट ने नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भर एक इतिहास रच दिया है।

एयर इंडियान नॉर्थ पोलर क्षेत्र से कमर्शल फ्लाइट उड़ाने वाली पहली इंडियन एयरलाइन बन गई है। दिल्ली से सैन फ्रैंसिस्को जाने वाली फ्लाइट जो आमतौर पर अटलांटिक या प्रशांत महासागर के ऊपर से निकलती है, गुरुवार को नॉर्थ पोल के ऊपर से निकली। इस उपलब्धि के साथ ही एयर इंडिया ध्रुवीय क्षेत्र से कमर्शल फ्लाइट उड़ाने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बन गई है। एयर इंडिया के लिए यह उपलब्धि एक बड़ा मील का पत्थर मानी जा रही है। बताया जाता है कि यह रास्ता सैन फ्रांसिस्को जाने वाले सामान्य रास्ते के मुकाबले छोटा किंतु बेहद चुनौतीपूर्ण है लेकिन भारतीय विमान क्षेत्र के लिए यह उपलब्धि ऐतिहासिक है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच पोलर रूट पर जाने के लिए एयर इंडिया के ऑपरेशन्स विभाग ने दो फ्लाइट प्लान बनाए है।

एयर इंडिया के एक सूत्र ने बताया है, हमें 15 अगस्त को पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद होने के लिए तैयार रहने को कहा गया था। इसलिए अगर भारतीय उड़ानों के लिए एयरस्पेस बंद रखा जाता तो भी पोलर क्षेत्र से उड़ान भर सकते हैं। जिसमें एयरक्राफ्ट स्ट्रेट ऑफ हॉरमुज के ऊपर से होकर पोल के उत्तर से ले जाया जाता है।

दिल्ली-सैन फ्रैंसिस्को की फ्लाइट AI-173 सुबह 4बजे 243 यात्रियों के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, रूस के ऊपर से उड़कर 12.27 बजे नॉर्थ पोल से निकली। अत्याधिक गुरूत्वाकर्षण होने की वजह से दिशा की सही जानकारी देने वाले कंपास भी काम करना बंद कर देते हैं।

ऐसे वक्त में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षक होने की वजह से दिशा की सही जानकारी देने वाले चुंबकीय कंपास भी उत्तरी ध्रुव के ऊपर काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में विमान में लगे अत्याधुनिक उपकरण और जीपीएस से उपलब्ध डेटा ही पायलट को उपलब्ध होता है। इसी की मदद से पायलट सही रास्ते पर उड़ान भरते रहने का फैसला करते हैं। यही नहीं उत्तरी ध्रुव पर तापमान हमेशा माइन दहाई अंकों में होता है। इससे विमान के ईंधन के जमने का खतरा भी होता है।

इन सबके अलावा सौर विकिरण का भी बड़ा खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तरी ध्रुव के छोटे रास्ते से सैन फ्रांसिस्को की उड़ान में दुरी और समय की बचत के साथ ईधन की बचत भी होगी। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। एयर इंडिया के सूत्रों ने बताया कि उत्तरी ध्रव के रास्ते उड़ान भरने पर कार्बन उत्सर्जन में 6000-21000 किलोग्राम तक की कमी आने की संभावना है।

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