जानिए रामलला मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास और अयोध्या मामले से जुड़े कुछ खास पहलू

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जानिए रामलला मंदिर का सम्पूर्ण इतिहास और अयोध्या मामले से जुड़े कुछ खास पहलू

राममंदिर मुद्दा काफी विवादित मुद्दा रहा है, जिस पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैंसला सुनाया है। बता दें कि राममंदिर फैंसला हिंदू समुदाय के हक में सुनाया गया है। 9 नवंबर को 5 जजों की बेंच ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन हिंदू पक्ष को सौंपने के साथ- साथ उस जमीन पर राम मंदिर निर्माण का फैंसला सुनाया है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को राम जन्मभूमि से हटकर 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय लिया है।

अगर अयोध्या विवाद की बात करें, तो सदियों से यह विवाद चलता आ रहा था। 9 नवंबर को हमेशा के लिए इस विवाद का अंत हो चुका है। जैसे कि आपको मालूम है कि फैंसले से पहले रामलला मंदिर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष में काफी ज्यादा खींचतान चल रही थी, जिस पर हाल ही में विराम लग चुका है।

चलिए जानते हैं कि कैसे इस विवाद का आरंभ हुआ और किस तरह से इस मुद्दे ने तूल पकड़ी। यहां आपको अयोध्या मामले से जुड़े कुछ खास वर्ष के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस प्रकार है-

वर्ष 1528– इस साल मुगल बादशाह के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था।

वर्ष 1857– यह वो वर्ष था जब हनुमानगढ़ी के महंत ने बाबरी मस्जिद के आंगन के पूर्वी हिस्से में राम चबूतरे का निर्माण करवाया था।

वर्ष 1885– बता दें कि इस साल निर्मोही आखाड़े के महंत रघुबर दास ने फैजाबाद की जिला अदालत में याचिका दायर करते हुए राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की अनुमति मांगी, लेकिन आदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

वर्ष 1949– 22 और 23 दिसंबर की रात को कुछ शरारती तत्वों द्वारा बाबरी मस्जिद के मध्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति रख दी गयी। 23 दिसंबर की सुबह इस मामले पर FIR दर्ज हो गयी। बता दें कि मूर्ति रखने को रामलला का प्रकट होना बताया गया। प्रशासन ने भी सोचा कि यदि मूर्ति हटाई गई, तो दंगे की स्थिति पैदा हो सकती है। इस वजह से उन मूर्तियों को नहीं हटाया गया।

वर्ष 1949– इसी वर्ष 29 दिसंबर को फैजाबाद की अदालत ने विवादित स्थान को स्टेट की कस्टोडियल जिम्मेदारी में रख दिया। और इसके बाद से ही विवादित स्थान के गेट पर ताला लगा दिया गया। नमाज के लिए बाबरी मस्जिद का उपयोग भी वर्जित कर दिया गया।

वर्ष 1950– एक बार फिर से अयोध्या मुद्दे के मुख्य पक्षकार गोपाल सिमला विशारद ने बाबरी मस्जिद में स्थापित मूर्तियों की पूजा-अर्चना करने की अनुमति पाने के लिए फैजाबाद की जिला अदालत में याचिका दायर की। परंतु इस याचिका को खारिज कर दिया गया। एक बार फिर से रामचंद्र दास परमहंस ने भी पूजा करने और राम की मूर्तियां स्थापित करने को लेकर फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर दी।

वर्ष 1959– इस साल निर्मोही अखाड़े ने विवादित जमीन पर अधिकार देने की याचिका दायर की।

वर्ष 1981– यूपी के सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की।

वर्ष 1984– इस साल विश्व हिंदू परिषद ने एक आंदोलन शुरू किया, जिसका मकसद विवादित जमीन को आजाद कराना था।

एक फरवरी 1986– यह काफी अहम तारीख थी, जब फैजाबाद अदालत ने सरकार को परिसर का गेट खोलने का आदेश दिया, ताकि हिंदू भक्त वहां पर पूजा-अर्चना कर सकें।

वर्ष 1989– यह साल राजीव गाँधी सरकार का शासनकाल था। उस समय सत्तासीन सरकार ने विवादित जमीन के पास रामलला के मंदिर का शिलान्यास करने की इजाज्त दे दी थी। यही वजह थी कि सरकार द्वारा घोषित तारीख को VHP और RSS के कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर विवादित स्थल के निकट राममंदिर का शिलान्यास कर दिया।

वर्ष 1990– इस साल बीजेपी नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने सरकार से विवादित जमीन पर अधिकार मांगने के लिए सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की। इस यात्रा का अंत अयोध्या में होना था। इस समय यूपी के सीएम मुलायम सिंह यादव थे। तत्कालीन सीएम ने रथ यात्रा को रोकने की चेतावनी दी। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें अयोध्या में घुसने की कोशिश करने दो। हम उन्हें सिखाएंगे कि कानून का मतलब क्या होता है? कोई मस्जिद नहीं गिराई जाएगी

बता दें कि लालकृष्ण अडवाणी को समस्तीपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। अयोध्या में इस आंदोलन की वजह से पहले से ही काफी सेवक और साधु-संतों का जमावड़ा लगा हुआ था, जो बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रहे थे। हालात और भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने बाबरी मस्जिद के आस-पास के रास्ते पर कर्फ्यू लगा दिया, लेकिन फिर भी साधु-संतों की भीड़ थमी नहीं और लगातार मस्जिद की ओर बढ़ने लगी। दोपहर को सीएम मुलायम सिंह ने सेवकों और साधुओं पर फायरिंग का आदेश जारी कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी और हालात बेकाबू हो गए। इस बीच कई लोग घायल हो गए और कई लोग मारे गए।

 6 दिसंबर 1992– यह वो दिन था जब अयोध्या विवाद ने तूल पकड़ी थी। बता दें कि इस दिन राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद ढांचे को तोड़ दिया गया था।

30 सितम्बर 2010– उच्चतम न्यायालय ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

9 मई 2011– इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में हाई कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैंसल पर रोक लगा दी।

20 नबंवर 2017- यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि मंदिर का निर्माण अयोध्या में और मस्जिद का लखनऊ में किया जा सकता है।

25 जनवरी 2019: उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया। नयी पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल थे।

26 फरवरी 2019- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में मध्यस्ता का सुझाव दिया साथ ही फैंसले के लिए पांच मार्च की तारिख तय की।

8 मार्च 2019– उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया।

11 जुलाई 2019– सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर रिपोर्ट मांगी।

18 जुलाई 2019– सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने का आदेश दिए साथ ही 1 अगस्त को मध्यस्थता पर रिपोर्ट देने को कहा।

2 अगस्त 2019– लेकिन मध्यस्थता प्रक्रिया नाकाम हो गयी और सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से प्रतिदिन सुनवाई का निर्णय लिया।

4 अक्टूबर 2019– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी की जाएगी और 17 नबंवर को फैंसला सुनाया जाएगा।

16 अक्टूबर 2019– सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके फैंसले को सुरक्षित रख दिया।

9 नबंवर 2019– यह दिन इतिहास का सबसे महत्तवपूर्ण दिन है, जब अयोध्या विवाद पर फैंसला सुनाया गया और हमेशा के लिए इस विवाद का अंत हो गया। यह फैंसला हिंदू पक्ष के हित में सुनाया गया। आदालत ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन पर राम मंदिर निर्माण का आदेश दिया। इसके अलावा 5 अकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को देने का फैंसला सुनाया है।

 

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