मनरेगा योजना क्या है और कैसे उठाए इस योजना से लाभ

0

मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना है, इससे पूर्व इस योजना को राष्ट्रीय रोजगार (एनआरईजीए) नरेगा के नाम से जाना जाता है।

भारत में अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त नहीं होता है, इसलिए ग्रामीण जनसख्यां रोजगार के लिए शहर की ओर पलायन कर रही है, केंद्र सरकार ने इस पलायन को रोकने के लिए लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार प्रदान करने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार के द्वारा चलायी गयी इस योजना का मुख्य उद्देशय ग्राम का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को रोजगार प्रदान करना है, इस योजना के द्वारा ग्राम को शहर के अनुसार सुख-सुविधा प्रदान करना है, जिससे ग्रामीणों का पलायन रुक सके।

केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2005 को की थी, इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अंतर्गत रखा गया था। इस योजना को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। 31 दिसंबर 2009 को इस योजना के नाम में परिवर्तन करके इसे महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना कर दिया गया।

इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्य कराये जाते है, जिसमें से प्रमुख कार्य इस प्रकार से है।

  • जल संरक्षण
  • सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण
  • बाढ़ नियंत्रण
  • भूमि विकास
  • विभिन्न तरह के आवास निर्माण
  • लघु सिंचाई
  • बागवानी
  • ग्रामीण सम्पर्क मार्ग निर्माण
  • कोई भी ऐसा कार्य जिसे केन्द्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह लेकर अधिसूचित करती है।

मनरेगा योजना के लाभ

मनरेगा योजना में ग्रामीण लोगों को अपने परिवेश में ही रोजगार प्राप्त हो जाता है, केंद्र सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस के रोजगार की गारंटी दी है।

छत्तीसगढ़ राज्य में महात्मा मनरेगा योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस को बढ़ा कर 150 कार्यदिवस की रोजगार गारंटी दी है। 50 कार्य दिवस के व्यय का वहन राज्य सरकार के द्वारा किया जायेगा।

इस योजना के अंतर्गत परिवार के वयस्क सदस्य के द्वारा आवेदन किया जाता है, आवेदन होने के 15 दिन के अंदर रोजगार प्रदान किया जाता है, यदि किसी कारणवश 15 दिन के अंदर रोजगार प्राप्त नहीं होता है, तो सरकार के द्वारा उसे बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है, यह भत्ता पहले 30 दिन का एक चौथाई होता है, 30 दिन के बाद यह न्यूनतम मजदूरी दर का पचास प्रतिशत प्रदान किया जाता है।

इस योजना में मजदूरी का भुगतान बैंक, डाकघर के बचत खातों के माध्यम से किया जाता है, आवश्यकता पड़ने पर नगद भुगतान की व्यस्था विशेष अनुमति लेकर की जा सकती है।

Comments

comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here