विक्रम लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त जानिए लैंडिंग के दौरान क्या क्या हुआ

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भारत के चंद्र मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। इसके साथ ही 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का भविष्य अंधेरे में झूल गया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के.सिवन ने संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था। उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया, इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह मिशन कंट्रोल सेंटर है। विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।

लैंडर विक्रम की लैंडिंग से जुड़ी खास बातें

शनिवार तड़के लगभग 1:38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम का विकास चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था।

इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया।

लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था और इसरो के आधिकारी नियमित अंतराल पर खुसी जाहिर कर रहे थे।

इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार, लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गाय होगा और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, जिसके कारण संपर्क टूट गया।

हालांकि 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है। इसरो के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ को बताया, मिशन का सिर्फ पांच प्रतिशत-लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर-नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत – चंद्रयान-2 ऑर्बिटर – अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।

एक साल मिशन अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है, अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिसके उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।

चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में तीन खंड हैं- ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोट ) और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड) विक्रम दो सितंबर को आर्बिटर से अलग हो गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदास इसरो के वैज्ञानिकों से कहा कि साहसी बनें, मोदी ने आईएटीआरएसी के नियंत्रण कक्ष में वैज्ञानिकों के साथ बातचीत में कहा, आपने अभी तक जो हासिल किया है, वह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।

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