नई दिल्ली। सावन के महीने को भगवान शिव की पूजा और मनोकामनाओं को पूरा करने का महीना माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को खुश करने वाला होता है। भगवान भोले की इस महीने विशेष पूजा-अर्चना का प्रावधान है। कहा ऐसा भी जाता है कि सावन के महीने में की गई पूजा-अर्चना से भोलेनाथ खुश होते हैं और मनचाहा वर देते हैं। ऐसे में अगर आप सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा-पाठ करने में सक्षम नहीं हैं तो केवल सोमवार के दिन व्रत करके भी पूजा कर आप भोलेनाथ को खुश कर सकते हैं।
देवों के देव महादेव ही एक ऐसे देव हैं जिनकी पूजा मूर्त रूप की बजाय लिंग रूप में की जाती है और इसे अधिक फलदायी माना जाता है। यही कारण है कि मंदिरों में भगवान शिव लिंग रूप में विराजते हैं। शिव जी को खुश करने के लिए भक्त इनकी लिंग रुप में ही पूजा करते हैं।
आइए जानते हैं कि आखिर कितने प्रकार के शिवलिंग होते हैं और इनकी पूजा-अर्चना का क्या विधान है?
शिवलिंग के पहले प्रकार को उत्तम शिवलिंग कहते हैं
शिव को खुश करने के लिए भक्त उनके लिंग रूप में पूजते हैं। शिव पुराण में शिवलिंग तीन प्रकार के बताए गए हैं। इन्हें उत्तम, मध्यम और अधम कहा गया है। शिवलिंग के पहले प्रकार को उत्तम शिवलिंग कहते हैं। बता दें कि उत्तम शिवलिंग उसे कहते हैं जिसके नीचे वेदी बना हो और वह वेदी से चार अंगुल ऊंचा हो। इसे ही सबसे अच्छा यानी कि उत्तम शिवलिंग माना गया है।
दूसरे प्रकार के शिवलिंग को मध्यम और तीसरे प्रकार के शिवलिंग को अधम श्रेणी का शिवलिंग कहते है। जो शिवलिंग वेदी से चार अंगुल से कम होता है वह मध्यम माना गया है। वहीं जो इससे भी कम हो वह उसे अधम श्रेणी का माना गया है।
शिवलिंग की पूजा करते समय ध्यान रखें इन बातों का
शिव पुराण की मान्यता के अनुसार शिवलिंग की पूजा करते समय उनका मुख हमेशा उत्तर की ओर रखना चाहिए क्योंकि पूर्व दिशा की ओर खडे़ होकर या बैठकर शिवलिंग की पूजा करने से शिव के सामने का भाग बाधित होता है जो शुभफलदायी नहीं होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि उत्तर की ओर बैठकर या खडे़ होकर पूजा करने से देवी पार्वती का अपमान होता है क्योंकि यह शिव का बायां भाग पड़ता है जहां देवी पार्वती का स्थान है। इसलिए दक्षिण दिशा में बैठकर सामने की ओर यानी उत्तर की ओर मुंह करके शिवलिंग की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से भक्त को माता पार्वती और शिव की कृपा मिलती है।
तो इस बार सावन में आप भी शिव की आराधना करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।
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