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जानिए मोढ़ेरा स्थित विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर की खास बातें जिसका PM मोदी ने शेयर किया वीडियो

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गुजरात के मोढ़ेरा में स्थित सूर्य मंदिर का एक वीडियो शेयर किया है। साथ ही कहा कि यह मंदिर बरसात के दिन में शानदार लग रहा है। यह मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। मंदिर को बेहद ही अनोखे अंदाज के साथ बनाया गया है। इसका निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्य की पहली किरण सीधा मंदिर के गर्भगृह में आकर गिरती है।

modhera sun temple
पीएम मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर मोढेरा के सूर्य मंदिर का शानदार वीडियो शेयर किया है। मोढ़ेरा का प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर बारिश की बूंदों के बीच बेहद आकर्षक नजर आ रहा है। पीएम मोदी ने जिस मंदिर का वीडिया अपने ट्विटर वॉल पर शेयर किया है, वह दुनियाभर में अपनी खूबियों के लिए जाना जाता है।

55 सेकंड के इस वीडियो में मंदिर के चरणों में पानी का झरना दिखाया गया है। मोढेरा का सूर्य मंदिर पुष्पावती नदी के पास स्थित है, और गुजरात पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, सोलंकी शासकों की विरासत है।
आइए आपको इस मंदिर से जुड़ी हुई कुछ खास और दिलचस्प बातें बताते हैं।
यह सूर्य मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर पुष्पावती नदी के किनारे पर बसे मोढ़ेरा में स्थित है। मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि सूर्योदय होते ही सूर्य की पहली किरण सीधे इसके गर्भगृह में आती है। गर्भगृह की दीवार पर लगे शिलालेख से पता चलता है कि इसका निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था।


सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम सूर्य को कुल देवता के रूप में पूजते थे। इसलिए उन्होंने अपने कुल देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। सूर्य मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था। मंदिर के भव्य निर्माण की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके जुड़ाव में कहीं भी चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है।


हर साल मकर संक्रांति (जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है) पर इस धार्मिक स्थान के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु मंदिर में बने सूर्यकुंड के पवित्र जल से स्नान भी करते हैं। भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तंड मंदिर और तीसरा गुजरात का मोढ़ेरा सूर्य मंदिर है।
ईरानी शैली के इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों (गर्भगृह और सभामंडप) में बनवाया था। इस मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। स्तंभ का निचला हिस्सा अष्टकोणाकार है, जबकि ऊपर से वे गोल दिखाई देते हैं। इन सभी स्तंभों पर देवी-देवताओं की तस्वीरों के साथ ही आपको रामायण और महाभारत के प्रसंग भी दिखाई देगें। साथ ही सभामंडप के आगे एक बहुत बड़ा कुंड़ बनाया गया है इसे सूर्यकुंड या रामकुंड भी कहते हैं।
मोढेरा की भूमि का जिक्र स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी है। प्राचीन काल में मोढेरा से जुड़े क्षेत्र को धर्मरण्य कहा जाता था। ऐसा भी कहा जाता है कि रावण का संहार करने के बाद भगवान श्रीराम (Jai shree ram) इस स्थान पर आए थे। गुरु वशिष्ट ने उन्हें ऐसे स्थान पर जाने के लिए कहा था जहां ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पाने के लिए आत्मशुद्धि की जा सके।

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