Ganesh Chaturthi 2019 : प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का अपना विशेष महत्व है। चतुर्थी तिथि से अनन्त चतुर्दशी तक मनाने जाने वाली गणेश पूजा का अपना एक विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में साकार ब्रह्म और निराकार ब्रह्म दोनों को पूजने की प्रथा है। विशेष रूप से सनातन धर्म के लोग साकार ब्रह्म की पूजा अर्चना करते हैं और इनमें से प्रमुख हैं गणेश की पूजा। गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। हम आम मानव ही नहीं अपितु देवता भी गणेश को प्रथम पूज्य के रूप में पूजते हैं।
भगवान गणेश इसलिए कहलाते हैं बुद्धि के दाता
एक बार पार्वती और शिव जी के पास ज्ञान का फल था, जिसे उनकी संतानें कार्तिकेय और गणेश दोनों लेना चाहते थे। भगवान शिव ने उनके सामने एक चुनौती रखी। उन्होंने दोनों को दुनिया की तीन बार परिक्रमा करने और इसके बाद लौटकर आने को कहा। साथ ही ये भी बोला कि जो पहले लौटेगा, उसे यह फल मिलेगा। इस पर कार्तिकेय अपने मोर पर सवार होकर निकल पड़े, लेकिन गणेश जी वहीं अपने छोटे से चूहे पर सवार रहे गणेश जी ने अपने माता-पिता के तीन चक्कर लगाए और कहा कि पुरी दुनिया उनके चरणों में ही तो है। शिव और पार्वती उनके उत्तर से प्रसन्न हो गए और इस प्रकार गणेश जी को ज्ञान के फल की प्राप्ति हो गई ।
क्यों गणेश जी कहलाए एकदंत
एक बार गणेश जी भगवान शिव के द्वार की पहरेदारी कर रहे थे, तभी वहां संन्यासी परशुराम आ गए। जब गणेश जी ने उन्हें रोक लिया तो परशुराम नाराज हो गए। अपने क्रोध के लिए प्रसिद्ध परशुराम से युद्ध करते हुए अपना एक दंत गंवा दिया और इसके बाद वह एकदंत कहलाए।
जब चंद्रमा को गणेश जी के क्रोध का सामना करना पड़ा
एक बार गणेश जी कुबेर देवता के घर पर थे और उनका पेट इतना ज्यादा भर गया था कि उनके लिए चलना भी मुश्किल हो रहा था। इस पर वह अचानक लुढ़क कर गिर गए। दंत कथा के अनुसार चंद्रमा यह सब देख रहे थे और उन्होंने हंसना और गणेश जी का मजाक बनाना शुरु कर दिया। इस पर गणेश जी क्रोधित हो गए। उन्होंने चद्रमा को श्राप दे दिया कि वह काला पड़ जाएगा और नजर आना ही बंद हो जाएगा। अपनी गलती का अहसास होने पर उन्होंने गणेश जी से क्षमा याचना की इस पर गणेश जी ने कहा कि चंद्रमा 15 दिन में गायब होकर फिर से नजर आएंगे