वडोदरा शहर का इतिहास
वडोदरा शहर विश्वामित्री नदी के किनारे है। किसी समय पर यह शहर गायकवाड़ साम्राज्य की राजधानी था। दो हजार वर्ष पुराने इस नदी के पास पुरातात्त्विक अवशेष मिले हैं। वड़ोदरा शब्द वटोदर से पैदा हुआ था जिसका मतलब होता है बरगद के वृक्ष का पेट। जब अंग्रेज़ों ने इसपर अधिकार कर लिया तो इसका नाम वडोदरा पड़ गया। यही नाम काफी समय तक रहा और हमेशा के लिए इसका नाम वडोदरा पड़ गया। एक ऐसा समय था जब इस शहर में प्रवेश करने के लिए चार द्वार थे, जिन्हें आप आज भी देख सकते हैं। वड़ोदरा पर चालुक्य वंश का 10वीं शताब्दी में अधिकार था। इसके पश्चात वडोदरा पर दिल्ली व गुजरात, सोलंकी और बघेल के सुल्तानों ने राज किया। इन शासकों में से एक मराठा सेनापति पिलाजी गायकवाड़ भी थे जिन्होंने इसका विकास किया और इसके इतिहास में एक नए पन्ने को आरम्भ किया। वडोदरा में बाबी नवाबों ने भी इनसे पहले इस शहर के विकास में बहुत ही ख़ास योगदान दिया। जब महाराजा सयाजी राव तृतीय का अधिकार वडोदरा पर था तो उन्होंने इसका बहुत ही सुनेहरा विकास किया। उनके शासनकाल के दौरान न केवल खास कार्य हुए बल्कि बड़े स्तर पर आर्थिक और सामाजिक सुधार भी किये गए।
वडोदरा – सिटी ऑफ़ कल्चर
वडोदरा शहर को सिटी ऑफ़ कल्चर के नाम से भी जाना जाता है। वडोदरा गरबा मनाने में सबसे आगे है। स्थानीय गरबा मैदान पर यह पर्व रोशनी, गाने, और नृत्य के बीच पुरे ज़ोरों शोरों से मनाया जाता है। इस समय पर गरबा नृत्य और रासा आधी आधी रात के पश्चात भी कायम रहते हैं। यहाँ दूसरे पर्व भी बहुत उत्साह से मनाये जाते हैं जैसे की – गुड़ी पर्व, होली, दिवाली, गणोश चतुर्थी, ईद और उत्तरायन मुख्य हैं। गुजरात के बीच में विश्वामित्री नदी के किनारे पर स्तिथ है वडोदरा शहर। जब गर्मी का समय होता है तो यह नदी बिल्कुल सूख जाती है और एक छोटी सी धरा ही पानी की नज़र आती है। यह नर्मदा नदी और माही के मैदान के बीच में है। वडोदरा का प्रमुख मौसम गर्मी, बारिश और सर्दी का है। अगर बारिश के मौसम को न देखा जाये तो बाकी दिनों में वडोदरा का मौसम बहुत ही ज़्यादा सूखा होता है। यहाँ भयंकर गर्मी पड़ती है और बारिश के समय मुसलाधार बरसात होती है। और जब सर्दी का मौसम आता है तो उत्तर की और से आणि वाली ठंडी हवाएं से ठंड और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली और गांधीनगर से यह शहर बहुत ही अच्छे से जुड़ा हुआ है।
वड़ोरा के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी और बस आसानी से मिल जाती हैं। यहाँ की सड़कों पर आप साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार को चलते हुए देख सकते हैं। यह शहर ऐतिहासिक महत्ता की जगहों से जुड़ा हुआ है।
वडोदरा के पास पर्यटन स्थल
अगर आप कभी वडोदरा की यात्रा करने के लिए आएं तो लक्ष्मी विलास महल, श्री अरविंदो निवास, कडिया डूंगर की गुफाएं, सुरसागर तालाब, मकरपुरा महल, नजरबाग महल, दभोई और छोटा उदयपुर, सयाजी बाग और अंकोत्तका आदि में भर्मण करने का बहुत ही मज़ा ले सकते हैं। इन सबके इलावा वडोदरा के वधवाना वेटलैंड एंड ईको कैंपसाइट जैसे प्राकृतिक गार्डन के पक्षियों को देखने के लिए एक बेहतरीन जगह है। अगर आपका मन हो तो आप संखेड़ा की यात्रा भी कर सकते हैं
वडोदरा – के प्रमुख उद्योग शिल्प उत्पाद और फर्नीचर
क्यूंकि यह शिल्प उत्पाद और फर्नीचर के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ आकर आप रोगन के कार्य को देख सकते हैं और शिल्प उत्पाद भी ले सकते हैं। वडोदरा एक ज़रूरी घूमने वाला शहर बन चूका है इसकी प्राकृतिक विविधताओं और सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण। कभी वडोदरा आएं और इस खूबसूरत शहर की यात्रा करके सुख अनुभव करें।
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