हमारे समाज में तलाक का अर्थ है परित्याग करना । इसमे हर धर्म के अपने नियम और कानून है। तलाक एक उर्दू शब्द है।मुसलमानों में divorce कॊ तलाक कहते है।अगर हम इस्लाम के नियम के बात करे तो अगर पति अपनी पत्नी कॊ तीन बार तलाक बोलता है तो दोनो में तलाक हो जाता है।अभी कुछ सालो में बहुत से मुसलमानों ने इसका दुरुपयोग किया है।बहुत से लोगो ने ईमेल या फ़िर whatsapp पर अपनी पत्नी कॊ तलाक दिया, जो की महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है बहुत से लोगो छोटी छोटी बात पर अपनी पत्नी कॊ तलाक देने लग गये थे, जिसकी वजह से बहुत सी मुस्लिम महिलाओ का शोषण हुआ।बहुत से मुस्लिम महिलाएँ इसका शिकार हुई है अगर हम बाकी देश से तुलना करे तो बहुत से मुस्लिम देश जैसे पाकिस्तान , श्रीलंका , इराक़ , ईरान , सउदी अरब , इन सभी देशों में तीन तलाक ban है, पर हमारे देश में ये अभी भी प्रचलन में है । इसीकी वजह से एक मुस्लिम महिला ने अपने मानवाधिकार के लिये सुप्रीम कोर्ट में pil दायर कर दी ।अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महिलाओ के पक्ष में आया है।सुप्रीम कोर्ट के आनुसार ईमेल , फोन और whatsappपर तलाक मान्य नहीँ होगा। तलाक के लिये पति पत्नी दोनो का सामने होना अनिवार्य है और इसके लिये कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी ।अगर महिला चाहे तो इसके खिलाफ कोर्ट में अपील कर सकती है। निश्चित रुप से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महिलाओ के आत्मसम्मान और उनके मानवाधिकार कॊ मद्देनजर एक बड़ा फैसला है।
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