संयोगिता चौहान, का जन्म कन्नौज प्रदेश में हुआ था। उसके पिता का नाम जयचन्द था।
संयोगिता पूर्व जन्म में रम्भा नामक अप्सरा थी। कसी ऋषि के शाप के कारण वह संयोगिता के नाम से पृथ्वी पर अवतरित हुई। संयोगिता जयचन्द की पुत्री थी।
अब हम लोग जानते है कि , संयोगिता चौहान की मृत्यु कैसे हुई लेकिन उससे पहले हमें यह जान लेना अति आवश्यक है कि पृथवी राज चौहान की मृत्यु कैसे हुई थी।
पृथ्वी राज चौहान के बचपन के मित्र चंदब्रदाई उनके लिये किसी भाई से कम नहीं थे , राज कवि चंदब्रदाई के सलाह पर पृथ्वी राज चौहान ने तीरअंदाज का खेल खेलनें का फ़ैसला किया और मोहम्मअद गोरी को पृथ्वी राज चौहान ने शब्द भेदि बाण से मार दिया , इस दृश्य को चंदब्रदाई ने क्या खूब कहा है।
” दस कदम आगे , बीस कदम दायें , बैठा है सुल्तान , अब मत चूको चौहान , चला दो अपना वाण “
इतिहासकारो का कहना है की दुश्मन के हाथो से मरने से अच्छा है कि किसी अपने के हाथ से मरा जाये। बस यही सोच कर चंदब्रदाई और पृथ्वी राज चौहान ने एक दुसरे का वध कर अपनी दोस्ती का बह्तरीन नमूना पेश किया है।
रानी संयोगिता 12वीं शताब्दी में शासन करने वाले चौहान वंश के एक प्रमुख राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की पत्नी थी। किंवदंतियों और गाथाओं के अनुसार, रानी संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी थीं। उन्हें दिल्ली और अजमेर के राजा पृथ्वीराज चौहान से प्यार हो गया। यह संयोगिता के पिता यानी जयचंद को पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने पृथ्वी राज चौहान को अपना पति माना।
हालाँकि, रानी संयोगिता की मृत्यु कैसे हुई इसका कोई व्यापक रूप से स्वीकृत ऐतिहासिक विवरण नहीं मिलता है। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी की कहानियाँ मुख्य रूप से उनके भागने और एक अन्य प्रेमी, पृथ्वीराज के कट्टर प्रतिद्वंद्वी, मोहम्मद गोरी से शादी करने की उसके पिता की इच्छा की अवहेलना के इर्द-गिर्द घूमती हैं।
किंवदंतियाँ आम तौर पर रानी संयोगिता की मृत्यु के बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं मिलती है। पृथ्वीराज और संयोगिता की कहानी को विभिन्न साहित्यिक कृतियों और लोककथाओं में रोमांटिक रूप दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी राज चौहान की मृत्यु के बाद रानी संयोगिता ने भी अपनी जान ले ली थी।